सरकार के ट्रेनो से पैन्ट्री कार हटाने की तैयारी के कारण रेल्वे की 10 हज़ार नौकरियां खतरे में |


संभव है कि आने वाले दिनों में आपको रेलवे में पैन्ट्री कार की सुविधा ना मिले। आपको या तो ई-कैटरिंग के ज़रिए खाना ऑर्डर करना होगा या फिर घर से अपने लिए खाना लेकर सफर पर निकलना होगा। अगर ऐसा होता है तो करीब 10 हज़ार लोगों की नौकरी खतरे में पड़ जाएगी।


कोरोना के कारण महीनों तक ट्रेन सेवा बाधित रही। बाद में पैन्ट्री कार के बिना स्पेशल ट्रेन चलाने का फैसला लिया गया। अब रेलवे 300 ट्रेनों में पैन्ट्री कार को हटाने पर विचार कर रहा है। माना जा रहा है कि रेलवे के इस फैसले से रेल सेक्टर में कम से कम 10 हजार नौकरियां प्रभावित होंगी। रेलवे के रेवेन्यू को काफी नुकसान हुआ है। दूसरी तरफ अब लोगों की आदत हो गई है कि वे सफर के दौरान घर से खाना ला रहे हैं। ऐसे में रेलवे पैन्ट्री कार को एसी 3-टीयर से रिप्लेस करने पर विचार कर रहा है। अमूमन एक ट्रेन के पैन्ट्री कार में 20-30 लोग काम करते हैं, जिसमें कुक और वेटर्स सभी शामिल होते हैं। इस हिसाब से अगर 300 ट्रेनों में पैन्ट्री कार हटाने का फैसला लिया जाता है तो करीब 10 हजार नौकरियां प्रभावित होंगी।


रेलवे अब ई-कैटरिंग पर भी विचार कर रहा है। इसके अलावा बड़े स्टेशनों पर बेस किचन तैयार करने की भी योजना है। रिपोर्ट के मुताबिक, यह प्रस्ताव दो बड़े रेलवे यूनियन की तरफ से दिया गया है। जानकारी के मुताबिक, रेलवे ने इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया है।


वर्तमान में करीब 350 जोड़ी ऐसी ट्रेन हैं जिनमें पैन्ट्री कार की सुविधा हैं। इनमें मेल, एक्सप्रेस, सुपरफास्ट और प्रीमियम सर्विस ट्रेनें शामिल हैं। यूनियन ने अपने प्रस्ताव के साथ यह भी कहा है कि पैन्ट्री में काम करने वाले लोग रेलवे के स्टॉफ नहीं हैं। वे प्राइवेट कॉन्ट्रैक्टर के लिए काम करते हैं। ऐसे में रेल यूनियन को इस प्रस्ताव में कोई आपत्ति नहीं है।


कहा जा रहा है कि पैन्ट्री कार को एसी 3-टायर से रिप्लेस करने पर रेलवे को करीब 1400 करोड़ सालाना रेवेन्यू आएगा। रेलवे के लिए ट्रैफिक जेनरेशन बहुत जरूरी हो गया है। पिछले साल के मुकाबले, मार्च-अगस्त पीरियड में रेलवे के ट्रैफिक रेवेन्यू में करीब 43 फीसदी की गिरावट आई है।